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रामायण में कुबेर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कुबेर ने हिमालय पर्वत पर तप किया। तप के अंतराल में शिव तथा पार्वती दिाखा सात्त्विक भाव से__ cc781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ पार्वती_ cc781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CFF58D_ से से से से से से से से से सेखा Հաղորդագրություն փակցնելուց համար պետք է कुबेर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चालर वह घोर तप या तो शिव ने किया था या फिर कुबेर ने किया, अन्य कोई भी देवता उसे पूर्ण रूप से संपन्न नहीं कर पाया था। से प्रसन्न होकर ने कहा-कहा मझझे मझमे से जीत लिया ैै: एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो अत: तुम एकाक्षीपिंगल कहलाओओओे .े:

कुबेर ने रावण के अनेक अत्याचारों के विषय में जाना तो अपने एक दूत को रावण के पास भेजा। नूत ने कुबेर का संदेश किया कि रावण_ CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CFF58D_ अधर्म_ CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ के के के रउा़नवन उउा़नने उउा़़ने के कारण सब देवता शसके शत्रु बन ैये ैैै रावण ने क्रुद्ध हस ूस ूू्ग से काटकर राक्षसों को भक्षणार्थ दे दे दिया: कुबेर का यह सब जानकर बहुत बुरा लगा। रावण तथा राक्षसों का कुबेर तथा यक्े यक्ष बल से ल़़ते थे और राक्षस माया से, अत: राक्षस विजयी हएए: रावण ने माया से अनेक रूप धारण किये तथा कुबेर के सिर पर प्रहार करके उसे घायल कर दिया और बलात उसका पुष्पक विमान ले लिया।

विश्वश्रवा की दो पत्नियां थीं। पुत्रों में कुबेर सबसे बड़े थे। शेष रावण, कुंभकर्ण और विभीषण सौतेले भाई थे। उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा पाकर कुबेर का पुष्पक विमान लेकर लंका पुरी तथा समस्त संपत्ति छीन ली। कुबेर अपने पितामह के पास गये। उनकी प्रेरणा से कुबेर ने शिवाराधनॾ कुबेर फन्हें 'धनपाल' की पदवी, पत्नी और पुत्र का लाभ हआआ. गौतमी के तट का वह स्थल धनदतीर्थ नाम नाेथ नाम स

Կուբեր Մանի

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